गुजरात राज्यके अहमदाबाद शहर में आज देशी शराब (लठ्ठा) पीनेसे सेंकडो लोगो की मृत्यु हो गई सरकारी आँकड़ो के मुताबिक 101 से अधिक लोगो ने अपनी जाने गवाईं है और ये कहेर आजभी जारी है । और कितने लोग मरेंगे ये तो नहीं पता लेकिन दारुबंधी वाले राज्यमें ऐसी घटना होना ये जायज नहीं लगता सरकार को कोई ठोस कदम जरुर से उठाना चाहिए । आजके हालात ऐसे है कि स्मसान में भी एडवांस बुकिंग की आवश्यकता आन पडी है ।
गुजरात के लिए ये नई बात नहीं है 1977 में सारंगपुर (अहमदाबाद) में 100 लोगो की मृत्यु हुई थी और 100 लोगो गंभीर रुपसे असर हुई थी । 1985 में वाडज (अहमदाबाद) और दिल्ली दरवाजा (अहमदाबाद) में 19 लोगो की मृत्यु हुई थी ।1979 मे बडोदा में 197 लोगो ने अपनी जान गवाईं थी । 1990में जुनागढ઼में 17 लोगों की मौत हुई ।
लेकिन इन सबमें सराकार दोषी है पुलिस दोषी है या देशी शराब पीनेवाले वो लोग दोषी है मैं समझ नहीं पा रहा हुं । पुलिस इन सबसे अंजान बन कर बैठी है जनते है क्यों ? क्योंकि वो वफादार है लेकिन आवाम के प्रति नहीं देशद्रोही और गेंगस्टरो के प्रति और विपक्ष के नेता ने एक नया विवाद बनाया है और वो इन मौतो का फायदा भी पुरी तरह उठा रहे है, और छोडे भी क्यों भला विपक्ष के नेता जो ठहेरे, देशकी नीती बहुत अच्छी है जब मुसीबत आये तो आपसमें लड़ो कटो और मरो मुसिबत कहाँ भाग रहीं है बादमें देख लेंगे ।
ये लठ्ठा कांड कोई नई बात नहीं है कुछ तारीखे मुजे याद है वो बताता हुं,
20 अप्रेल 2009 को आसाममें इससे 9 लोगो की मृत्यु हुई थी ।
05 जनवरी 2009 को कोलकातामें इससे 23 लोगो की मृत्यु हुई थी ।
20 मई 2008 को कर्णाटक और तमिलनाडु में इससे 75 लोगो की मृत्यु हुई थी ।
20 मार्च 2006 को उडीसामें इससे 9 लोगो की मृत्यु हुई थी ।
30 दिसम्बर 2004 को मुंबईमें इससे 75 लोगो की मृत्यु हुई थी ।
ये आँकडे तो सरकारी है और झुठे भी भगवान ही जाने हकीकत क्या होगी
ये लठ्ठा कैसे बनता है पता है ?
ये लठ्ठा सड़े हुए गुड़, गटर और नाली के पानी और निम्न कक्षा की युरीया और बेटरी के जिंक तथा कार्बन पाउडर से बनता है जिसे गरम करके उस पानी की भाप को ठंडी कर बनाया जाता है, जिससे मिथाईल आल्कोहल बनता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुतही हानीकारक होता है ।
विशेष में बस इतना ही लिखते हुए और हमारे झगडालु नेता और भ्रष्ट, रीश्वतखोर पुलिस को सलाम करते हुए मैं यहीं रुक जाता हुं ।
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